घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
पहली दफ़ा मैंने जब उसको देखा था
साँसें गई ये ठहर
रस्ते में है उसका घर
पहली दफ़ा मैंने जब उसको देखा था
साँसें गई ये ठहर
रहती है दिल में मेरे, कैसे बताऊँ उसे?
मैं तो नहीं कह सका, कोई बता दे उसे
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
मैं तो नहीं कह सका, कोई बता दे उसे
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
उसकी गली में हैं ढली कितनी ही शामें मेरी
देखे कभी वो जो मुझे, खुश हूँ मैं इतने में ही
मैंने तरीके १०० आज़माए
जा के उसे ना कुछ बोल पाए, बैठे रहे हम रात भर
देखे कभी वो जो मुझे, खुश हूँ मैं इतने में ही
मैंने तरीके १०० आज़माए
जा के उसे ना कुछ बोल पाए, बैठे रहे हम रात भर
जो पास जाता हूँ, सब भूल जाता हूँ
मिलती है जब ये नज़र
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
मिलती है जब ये नज़र
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल जो मिले वो राहों में तो मैं उसे रोक लूँ
उसके दिल में क्या है छिपा एक बार मैं पूछ लूँ
पर अब वहाँ वो रहती नहीं है
मैंने सुना है वो जा चुकी है, खाली पड़ा है ये शहर
उसके दिल में क्या है छिपा एक बार मैं पूछ लूँ
पर अब वहाँ वो रहती नहीं है
मैंने सुना है वो जा चुकी है, खाली पड़ा है ये शहर
No comments:
Post a Comment